महाशिवरात्रि पर इस बार बेहद खास संयोग बन रहे हैं. महाशिवरात्रि हर साल फाल्गुन के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है और इस बार ये 11 मार्च को पड़ रहा है. जानकारों के अनुसार इस बार 11 मार्च का दिन बेहद खास होने वाला है. दरअसल, इस दिन शिवयोग, सिद्धियोग, घनिष्ठा नक्षत्र का संयोग आने से महाशिवरात्रि की महत्ता और बढ़ गई है.
शिवयोग, सिद्धियोग, घनिष्ठा नक्षत्र का संयोग इस बार महाशिवरात्रि को खास बना रहा है. इन शुभ संयोग के बीच भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा बेहद कल्याणकारी मानी जा रही है. साथ ही 11 मार्च को त्रयोदशी और चतुर्दशी भी मिल रही है. ये सबकुछ एक साथ 101 साल बाद होने जा रहा है. इसलिए मौका बेहद खास बन गया है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह इसी दिन हुआ था.
इस बार 11 मार्च को सुबह 9.24 बजे तक शिव योग रहेगा. ऐसी मान्यता है कि शिव योग में किए गए सभी मंत्र शुभफलदायक होते हैं. इसके बाद सिद्ध योग लग जाएगा जो 12 मार्च को सुबह 8.29 तक रहेगा. साथ ही रात में 9.45 बजे तक घनिष्ठा नक्षत्र रहेगा. पंचाग के अनुसार 11 मार्च को त्रयोदशी तिथि दोपहर 2.39 तक रहेगी. इसके बाद चतुर्दशी की शुरुआत हो रही है और इसका समापन अगले दिन दोपहर 3.02 बजे होगा.
महाशिवरात्रि पर पूजा का शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि पर निषित काल पूजा का मुहूर्त इस बार 11 मार्च को आधी रात में 12.06 बजे से 12.55 बजे तक है. ऐसे में ये करीब 48 मिनट का शुभ मुहूर्त होगा. वहीं शिवरात्रि पारण का समय 12 मार्च की सुबह 06.34 बजे से दोपहर 3.02 बजे तक रहने वाला है.
महाशिवरात्रि पर रात के पहर में अन्य शुभ मुहूर्त की बात करें रात के पहले पहर में पूजा का मुहूर्त 11 तारीख की रात 6.27 से 9.29 तक होगा. इसके बाद दूसरे पहर का मुहूर्त रात 9.29 से आधी रात 12.31 (12 मार्च) तक का रहेगा. ऐसे ही तीसरे पहर का मुहूर्त आधी रात 12.31 बजे से तड़के 3.32 (12 मार्च) और फिर चौथे पहर का मुहूर्त तड़के 3.32 से सुबह 6.34 (12 मार्च) तक का होगा.
महाशिवरात्रि की पूजा विधि
प्रात:काल में जल्दी उठकर स्नान करें. इसके बाद मिट्टी के लोटे में पानी या दूध भरकर उसके ऊपर बेलपत्र डालें. धतूरे के फूल डालें. चावल आदि डालें और फिर इन्हें शिवलिंग पर चढ़ाएं. यदि आप शिव मंदिर नहीं जा सकते हैं तो घर पर ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर आपका उनका पूजन कर सकते हैं. शिव पुराण का पाठ करें और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करें.
महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का भी विधान बताया गया है. इसके बाद शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार शिवरात्रि का पूजन निशीथ काल में करना सबसे ज्यादा सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. हालांकि भक्त रात्रि के चारों पहरों में से अपनी सुविधा के अनुसार इस दिन का पूजन कर सकते हैं.