कोरोना के संक्रमण और विधानसभा चुनाव को देखते हुए दुर्गापूजा के मद्देनजर बिहार सरकार ने दिशा-निर्देश जारी किया है. इसके तहत गृह विभाग ने सभी प्रमंडलीय आयुक्त, रेंज DIG, सभी जिलों के DM, सभी जिलों के SP- SSP और रेल SP को जारी निर्देश कहा है कि दुर्गापूजा का आयोजन मंदिरों में या निजी रूप से घरों में ही किया जायेगा. मंदिरों में पूजा पंडाल या मंडप का निर्माण किसी विशेष थीम पर नहीं किया जाएगा. न मेले लगेंगे और न सामूहिक रूप से प्रसाद बांटे जा सकेंगे. रामलीला का आयोजन भी नहीं होगा. सार्वजनिक स्थानों पर रावण दहन की भी अनुमति नहीं दी गई है. इसके अलावा लाउड स्पीकर के इस्तमाल पर भी रोक लगा दी गई है.
दुर्गापूजा पर रामलीला और डांडिया के आयोजन का चलन है, लेकिन इस बार इनके आयोजन नहीं होंगे. सरकार के निर्देश के मद्देनजर सार्वजनिक स्थल, होटल, क्लब आदि जगहों पर गरबा, डांडिया, रामलीला जैसे कार्यक्रम आयोजित नहीं होंगे. रावण दहन का कार्यक्रम भी सार्वजनिक स्थान पर नहीं होगा. सरकार का मानना है कि ऐसा करने पर भीड़ जमा होने की आशंका है.
इस दफे दुर्गापूजा पर आयोजकों द्वारा किसी रूप में आमंत्रण पत्र जारी नहीं किया जाएगा. मंदिर में पूजा पंडाल के उद्घाटन के लिए कोई सार्वजनिक समारोह आयोजित नहीं की जाएगी. मंदिर में पर्याप्त मात्रा में सेनेटाइजर रखना होगा. साथ ही कोरोना की रोकथाम के लिए जारी निर्देशों का भी पालन करना होगा.
दुर्गापूजा पर इस बार सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली (लाउडस्पीकर) का उपयोग नहीं किया जाएगा. मेला भी नहीं लगेगा और पूजा स्थल के आसपास खाद्य पदार्थ का स्टॉल लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. कोई सामुदायिक भोज, प्रसाद या भोग का वितरण की इजाजत नहीं दी गई है. विसर्जन जुलूस निकालने पर भी रोक रहेगी. जिला प्रशासन द्वारा निर्धारित तरीके से चिह्नित स्थानों पर ही मूर्तियां विसर्जित होंगी. विसर्जन 25 अक्टूबर यानी विजयादशमी को ही करना होगा.
सरकार के निर्देशानुसार उक्त दिशा निर्देशों का उलंघन करने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध आपदा प्रवंधन अधिनियम की धारा 51-60 के प्रावधानों के अतिरिक्त भादवि की धारा 188 एवं अन्य सुसंगीत धाराओं के तहत कानूनी कारवाई की जाएगी.
बता दें कि शहर के पूजा पंडालों के निर्माण से टेंट पंडाल व्यवसाय को काफी आमदनी होती रही है, लेकिन दुर्गापूजा के दौरान पंडाल निर्माण पर रोक लगने से राजधानी के टेंट कारोबारियों में मायूसी है. पूजा पंडाल नहीं बनने से पंडाल व्यवसायियों को लाखों रुपये का नुकसान उठाना होगा.