दक्षिण दिल्ली के शाहीन बाग में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर और नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में चले विरोध-प्रदर्शन के दौरान सड़क पर अतिक्रमण कर बैठी भीड़ को हटाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दे दिया है. बुधवार को अपने अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विरोध प्रदर्शन एक सीमा तक हों, अनिश्चितकाल तक नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि धरना-प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक स्थलों को नहीं घेरा जाए. इसी के साथ दिल्ली पुलिस को शाहीन बाग इलाके को खाली कराने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए. बता दें कि अब वहां पर धरना-प्रदर्शन खत्म हो चुका है.
बुधवार को शाहीन बाग में प्रदर्शन के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने बड़े और फैसले में कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर धरना प्रदर्शन करना किसी भी लिहाज से सही नहीं है. इससे आम जनता के अधिकारों का हनन होता है. कोर्ट ने कहा है कि कोई भी प्रदर्शनकारी समूह या व्यक्ति सिर्फ विरोध प्रदर्शनों के बहाने सार्वजनिक स्थानों पर अवरोध पैदा नहीं कर सकता है और सार्वजनिक स्थल को रोक नहीं सकता है.
गौरतलब है कि दिसंबर 2019 में केंद्र सरकार ने संसद से नागरिकता संशोधन कानून पास किया था. जिसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया. इस कानून को धर्म के आधार पर बांटने वाला बताकर दिल्ली से शाहीन बाग में 100 से ज्यादा दिन तक धरना-प्रदर्शन चला था और लोगों ने सड़क को ब्लॉक कर दिया था. लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए दिल्ली में लगाए गए धारा 144 के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को वहां से हटा दिया. शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने और सड़क को खोलने के लिए सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की गई थी, क्योंकि इस कारण लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था.