बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर इस बार बिहार के डॉक्टरों की ड्यूटी में कोरोना संकट के कारण बदलाव किया गया है. बिहार में डॉक्टरों को इस बार चुनाव कराने की जिम्मेवारी नहीं होगी. विधानसभा चुनाव में डॉक्टर साहब मजिस्ट्रट की ड्यूटी नहीं करेंगे. उन्हें अपने पेशे से अलग हटकर दूसरे काम में नहीं लगाया जाएगा. इस बार चुनाव में आयोग ने डॉक्टरों के लिए अलग भूमिका तय कर दी है. किसी को मतदान कराने या शांति बनाये रखने की जिम्मेवारी नहीं दी गई है.
डॉक्टरों के जिम्मे कोरोना को लेकर आयोग द्वारा तय गाइडलान का अनुपालन सुनिश्चित कराने का काम होगा. रैलियों में सोशल डिस्टेंसिंग और बूथों पर पीपीई किट से लेकर मास्क तक की व्यवस्था पर उनकी नजर रहेगी. इसी के साथ चुनाव के दिन भी सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों की जांच पहले की तरह ही होती रहेगी. राज्य सरकार ने चुनाव आयोग के निर्देश पर जो आदेश जारी किया है उसके अनुसार कोरोना संक्रमण को लेकर आयोग द्वारा तय गाइडलाइन पर नजर रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने चार स्तरीय व्यवस्था की है.
राज्य स्तर पर अपर सचिव स्तर के अधिकारी डॉ. कौशल किशोर को लगाया गया है. इसके अलावा हर विधानसभा स्तर पर उस क्षेत्र के स्वास्थ्य केन्द्र के प्रमुख को नोडल अधिकारी बनाया गया है. उनकी शिकायतों को दूर करने के लिए जिला और फिर निदेशालय के बाद राज्य स्तर पर भी अलग-अलग नोडल अधिकारी बनाये गये हैं.
विधानसभा क्षेत्र स्तर पर बनाये गये नोडल अधिकारी उस क्षेत्र में होने वाली सभी रैलियों के साथ चुनाव के बूथों पर भी नजर रखेंगे. रैली के लिए तैयार मैदान का भी पहले वह मुआयना करेंगे. वहां सोशल डिस्टेंसिंग के लिए गोला बनवाने का काम भी उसनके सहयोगी कर्मी करेंगे. बूथों पर भी वही स्थिति होगी. आशा के साथ दूसरे कर्मी उनकी सहायता करेंगे.
बूथों पर मतदानकर्मी पीपीई किट पहने हैं कि नहीं या फिर कतार में सोशल डिस्टेंसिंग-मास्क लगाने के निर्देश का पालन हो रहा है कि नहीं इन सभी पर उनकी नजर होगी. इसके अलावा थर्मल स्क्रीनिंग में अगर किसी वोटर पर कोरोना का संदेह हुआ तो उन्हें कतार से निकालकर अंत में वोट करने की सलाह वह देंगे.