मुजफ्फरपुर: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अनुसूचित जाति-जनजाति के किसी सदस्य की हत्या किए जाने पर पीड़ित परिवार को सरकारी नौकरी देने के निर्देश दिए हैं. अब इस फैसले के खिलाफ मुजफ़्फ़रपुर CJM कोर्ट में परिवाद दायर किया गया है. CJM कोर्ट में IPC की धारा 153A, 505, 120B के तहत दायर परिवाद पर 14 सितंबर को सुनवाई की जाएगी. शिकायत दाखिल करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता गौरव सिंह ने आरोप लगाया है कि इस प्रावधान से दलितों की हत्या को बढ़ावा मिलेगा.
परिवाद दायर करने वाले गौरव ने बताया कि किसी भी नौकरी का आधार हत्या नहीं हो सकता है. ऐसे में नीतीश ने इस तरह की घोषणा करके पूरे राज्य में जातीय उन्माद फैलाने की कोशिश की है. इस तरह का फैसला दलितों का भी अपमान है। इस फैसले से सभी मर्माहत है. 14 सितंबर को कोर्ट यह फैसला करेगा कि नीतीश के खिलाफ केस चलेगा या नहीं.
आपको बता दें कि बीते 4 सितंबर को सीएम ने बैठक में एक बड़ा निर्णय लेते हुए अधिकारियों को यद आदेश दिया कि अगर किसी भी दलित परिवार में किसी की हत्या होती है तो उनके परिवार के किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी. अनुसूचित जाति- जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत सर्तकता मीटिंग में मुख्यमंत्री ने यह बड़ा निर्देश दिया था.
सीएम नीतीश ने कहा था कि अनुसूचित जाति या जनजाति के पीड़ित परिवार को सरकार की ओर से आर्थिक मदद की जा रही है. उन्होंने यह भी कहा कि इसके अलावा अनुसूचित जाति या जनजाति परिवार के किसी भी सदस्य की हत्या होने पर परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने के लिए तत्काल नियम बनाये जाये.
अनुसूचित जाति जनजाति के उत्थान के लिए तथा उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. अन्य संभावनाओं या योजनाओं पर भी विचार किया जाये. इसके अलावा और जो कुछ भी करने की जरूरत होगी, उनके लिए सब कुछ किया जायेगा. अनुसूचित जाती के उत्थान से समाज का उत्थान होगा.