जेनेवा: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब कोरोना वैक्सीन को लेकर फिर से नया बयान जारी किया है. WHO का कहना है कि हमें अगले साल के मध्य तक बड़े पैमाने पर कोरोना वैक्सीनेशन की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. क्योंकि दुनिया में बन रही सभी वैक्सीन के परीक्षण अभी बाकी हैं. कोरोना को रोकने में उनकी क्षमता का सही अंदाजा किसी भी देश ने नहीं लगाया है.
WHO की प्रवक्ता डॉ. मारग्रेट हैरिस ने कहा कि दुनियाभर में बन रही कोरोना वैक्सीन एडवांस क्लीनिकल ट्रायल में हैं लेकिन किसी भी वैक्सीन ने अभी तक कोरोना को रोकने की 50 फीसदी क्षमता का प्रदर्शन नहीं किया है. जबकि, कोरोना काल में किसी भी वैक्सीन से यह उम्मीद तो की जाती है कि कम से कम वह 50 फीसदी असरदार हो.
मारग्रेट हैरिस ने कहा कि रूस ने अपने कोविड-19 वैक्सीन को दो महीने से भी कम समय में ट्रायल करके एप्रूव कर दिया. जिसकी निंदा कई देशों के वैज्ञानिकों, डॉक्टरों और सरकारों ने की है. वहीं, दूसरी तरफ अमेरिकी अधिकारियों और फाइजर दवा कंपनी ने कहा है कि उनकी वैक्सीन अक्टूबर तक लोगों तक पहुंचने की स्थिति में आ जाएगी.
मारग्रेट हैरिस ने संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में कहा कि हम अगले साल के मध्य तक बड़े पैमाने पर कोरोना टीकाकरण की उम्मीद नहीं कर सकते. क्योंकि दुनिया भर में बन रही सभी वैक्सीन का तीसरे स्टेज का ट्रायल काफी ज्यादा समय लेगा. इन परीक्षणों से ही पता चलेगा कि कोरोना की वैक्सीन कितनी कारगर है. हालांकि, हैरिस ने किसी भी वैक्सीन का नाम नहीं लिया.
हैरिस ने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया भर के अलग-अलग देशों में बन रही कोरोना वैक्सीन से संबंधित आंकड़ों और परिणामों को आपस में शेयर करना चाहिए. अभी तक लाखों लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है लेकिन हमें यह नहीं पता कि कौन सी वैक्सीन मानकों के अनुसार कितनी कारगर है.