बिहार में जारी कोरोना त्रासदी के बीच पटना एम्स से बड़ी खबर आ रही है. एम्स में भारतीय फार्मा कंपनी ‘भारत बायोटेक’ के कोवैक्सिन नाम से विकसित टीके के क्लिनिकल ट्रायल के पहले चरण की सफलता के बाद दूसरे चरण का ट्रायल शुरू कर दिया गया है. पटना एम्स में कोरोना वैक्सीन के ट्रायल के तहत एक 30 वर्षीय युवक को दूसरा डोज दिया गया.
पटना एम्स के अधीक्षक सीएम सिंह ने बताया कि युवक को 0.5 एमएल वैक्सीन को डोज दिया गया है. बता दें कि वैक्सीन के ट्रायल का दूसरा चरण चल रहा है. इसके पूरा होने के बाद प्रभावों का अध्ययन किया जाएगा.
पटना एम्स में जिन लोगों को कोरोना वैक्सीन का टीका दिया जा चुका है, उनकी एंटीबॉडी की जांच छह अगस्त को करने की तैयारी है. इससे पता चलेगा कि भारत बायोटेक और आईसीएमआर द्वारा बनाई गई कोवैक्स वैक्सीन कोरोना से बचाव में कितना कारगर है. कोरोना की रोकथाम के लिए यह देश में विकसित पहली वैक्सीन है,जिसका ट्रायल मानव शरीर पर चल रहा है. यह ट्रायल एक साथ 13 शहरों के अलग-अलग संस्थानों व विशेषज्ञ चिकित्सकों यहां चल रहा है. पटना एम्स भी उनमें से एक संस्थान है.
एम्स में वैक्सीन के ट्रायल से जुड़े एक वरीय चिकित्सक ने बताया कि आठ जुलाई को पहली बार छह लोगों को कोरोना वैक्सीन दिया गया था. चार दिनों में कुल 30 से ज्यादा लोगों को इसका पहला डोज दिया जा चुका है. पहले 14 दिनों में इनमें से किसी भी व्यक्ति पर इसका कोई साइड इफेक्ट नही हुआ है. सभी लोग सामान्य जीवन जी रहे हैं. डॉक्टर ने बताया कि वैक्सीन की सफलता और असफलता पूरी तरह से मानव शरीर में विकसित एंटीबॉडी पर ही आधारित है. पहली डोज के 28वें दिन से उनके शरीर में बननेवाले एंटीबॉडी का अध्ययन किया जाएगा. इसके लिए संस्थान के अधीक्षक के नेतृत्व में विशेष तैयारी की गई है. अगर लोगों में एंटीबॉडी बेहतर रहा तो वैक्सीन को सफल माना जा सकता है.
भारत बायोटेक और आईसीएमआर ने देश में विकसित कोवैक्स वैक्सीन को कोरोना से बचाव के लिए तैयार किया है. जानवरों पर परीक्षण में इसके सफल होने के बाद मानव शरीर पर इसका परीक्षण चल रहा है. इस वैक्सीन को आईसीएमआर ने शीर्ष वरीयता के साथ 13 संस्थानों को इसके ट्रायल के लिए निर्देश दिया था. निर्देशानुसार एम्स पटना में भी इसका ट्रायल चल रहा है.