कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते हर वर्ग का व्यक्ति काफी परेशान है. वहीं देश में लॉकडाउन के चलते होटल संचालक परेशानी से गुजर रहे हैं. वहीं अब उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ क्वारनटीन सेंटर में 28 दिन में 84 डॉक्टर्स के खाना खाने का बिल 50 लाख रुपये आया है. बिल को देखकर अपर मुख्य सचिव चिकित्सा डॉ. रजनीश दुबे भी हैरान रह गए. उन्होंने बिल भुगतान करने से इंकार कर दिया है. जिसके बाद होटल मालिकों की परेशानी बढ़ गई है.
बता दे कि कोरोना का प्रकोप शुरू होने पर जेएनएमसी में लखनऊ एवं अन्य स्थानों से डाक्टरों की टीम बुलाई गई थी. डाक्टरों को महानगर के होटलों में क्वारंटीन किया गया था. पहले बैच के 42 डाक्टरों को 20 मार्च को होटल पाम ट्री एवं विकास होटल में 14 दिन के लिये क्वारंटीन किया गया था. इसके बाद अगले बैच के 42 डाक्टरों को होटल गैलेक्सी एवं होटल अली इन में ठहराया गया. 28 दिन की अवधि में डाक्टरों के खानपान से लेकर ठहरने तक का बिल 50 लाख बैठा है. यानी हर डाक्टर ने प्रतिदिन करीब 2126 रुपये का खर्चा किया.
होटल संचालकों का कहना है कि बिजली बिल से लेकर होटल स्टाफ को रेगुलर सैलरी दे रहे हैं. अब जिला प्रशासन के जरिए शहर के चार होटल पाम ट्री विकास होटल खुलवाए गए थे, जिसमें कोरोना योद्धा कहे जाने वाले डॉक्टर्स को क्वारनटीन किया गया था. शहर के चारों होटलों में 28 दिन 84 डॉक्टर्स को रोका गया था. मार्च से अभी तक किसी भी होटल संचालक का जिला प्रशासन ने बकाया नहीं दिया है.
वहीं होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष मानव महाजन ने बताया है कि 50 लाख रुपये का बकाया है और मार्च से अभी तक जिला प्रशासन नहीं दे रहा है. उन्होंने बताया है कि बिजली का बिल भी जमा करना है और स्टाफ को भी सैलरी देनी है. अगर बकाया जल्द से जल्द नहीं मिला तो हम लोग मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखेंगे और जरूरत पड़ी तो मुलाकात भी करेंगे.
वहीं जिला प्रशासन के जरिए अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा डॉ. रजनीश दुबे को बिल भेजा गया है. सूत्रों की मानें तो अपर मुख्य सचिव बिल को देखकर हैरान रह गए हैं. साथ ही उन्होंने शासन का हवाला देते हुए बिल का भुगतान करने से इनकार कर दिया है. साथ ही भविष्य में 50 रुपये डाइट के हिसाब से ही बिल का भुगतान करने की बात भी कही गई है.
वहीं मामले पर अलीगढ़ के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. भानु प्रताप सिंह कल्याणी ने बताया, ’50 लाख रुपये तो नहीं हैं लेकिन जो भी अमाउंट है, ये मुद्दा प्रमुख सचिव की बैठक में भी आया था, तब उन्होंने ये कहा था कि पैसे की व्यवस्था आपको खुद करनी पड़ेगी, शासन इसमें कुछ नहीं कर पाएगा. अब हम आगे कुछ करेंगे. अभी तक हमें लगता था कि शासन स्तर से कुछ मदद मिलेगी लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. अब हम अपने स्तर से इस मामले का निपटारा करेंगे.’