देश में कोरोना के चलते लॉकडाउन होने के बाद केंद्र सरकार ने ग़रीबों को मुफ़्त अनाज देने का एलान किया. पहले गरीबों को ये लाभ जून महीने तक ही दिया जाना था, लेकिन बाद में हालात को देखते हुए इसे नवंबर तक बढ़ा दिया गया. खास करके बिहार जो अभी कोरोना और बाढ़ की दो तरफा मार झेल रहा है उस राज्य के लिए ये फैसला काफ़ी महत्वपूर्ण है. लेकिन बिहार में राशन के वितरण से जो खुलासा हुआ है वो काफी गम्भीर है. दरअसल, बिहार में जितने राशन कार्ड धारी है उसमें से 28 लाख 42 हज़ार कार्डधारियों ने राशन का उठाव नहीं किया. इसके बाद सरकार को ये अंदेशा है की बिहार में इतने कार्डधारी फर्जी तो नहीं हैं.
ऐसे हुआ खुलासा
जून महीने में बिहार में कुल राशनकार्डधारियों की संख्या 1 करोड़ 68 लाख 31 हजार थीं. मगर केवल 1 करोड़, 39 लाख 28 हजार कार्डधारियों ने ही खाद्यान्न का उठाव किया. ऐसे में सरकार को आशंका है कि खाद्यान्न नहीं लेने वाले 28 लाख 42 हजार कार्डधारी फर्जी, डुप्लीकेट हैं या वे अपने मूल स्थान को छोड़कर अन्य राज्यों में निवास कर रहे हैं.
नए राशन कार्ड धारियों को भी मिल रहा राशन
कोरोनाकाल में बिहार में 23 लाख 38 हजार नए राशनकार्ड बनाए गए हैं जिनमें से 96 प्रतिशत का वितरण किया जा चुका है. नए राशनकार्डधारियों को भी मुफ्त खाद्यान्न वितरण योजना का लाभ मिलेगा. सरकार ने पहले ही निर्देश दिया है कि जो लोग किसी कारण से राशनकार्ड बनवाने से वंचित रह गए हैं, वे भी आरटीपीएस काउंटर पर अपना आवेदन देकर राशनकार्ड बनवा सकते हैं.
सुशील मोदी ने दिया भरोसा
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के सभी राशनकार्डधारियों को आश्वस्त किया कि प्रधानमंत्री द्वारा ‘आत्मनिर्भर भारत योजना’ के तहत अगले पांच महीने तक मुफ्त खाद्यान्न देने की घोषणा के तहत सभी को खाद्यान्न का वितरण किया जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य के कई जिलों में भीषण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है. ऐसे में खाद्यान्न वितरण में परेशानी हो रही है. मगर वे निश्चिंत रहें. प्रति व्यक्ति 25 किलो खाद्यान्न और प्रति परिवार 5 किलो चना उन्हें जरूर दिया जाएगा.