बिहार विधानसभा चुनाव में संभव नहीं कोई घपला! M3 ईवीएम से होगा चुनाव, छेड़े तो खिंच जाएगी फोटो
पटना : आने वाला बिहार विधानसभा चुनाव इस बार सबसे लेटेस्ट ईवीएम मशीन M3 से होगा. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी एच आर श्रीनिवासन ने इस मामले को लेकर सभी जिला के जिला निर्वाचन पदाधिकारी को निर्देश दिया है कि जिलों में जो भी ईवीएम M1 और M2 है उसे अन्य राज्यों में भेजी जाए. बता दें कि M3 ईवीएम मशीन सबसे लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का मशीन है. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने सभी जिला पदाधिकारी को मतदान केंद्रों का भौतिक सत्यापन जल्द कर लेना का निर्देश दिया है. इसके साथ ही निर्वाचन पदाधिकारी ने लोकसभा चुनाव के समय जिन जिलों में अपराधिक घटनाएं हुई थी अपराधिक घटनाओं का अनुसंधान तुरंत पूरा करने का निर्देश दिया है.
क्या है एम 3 ईवीएम
सामान्य शब्दों में कहें तो M3 ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का थर्ड जनरेशन है. चुनाव आयोग ने इस ईवीएम को मार्क 3 यानि M3 नाम दिया है. नेक्स्ट जनरेशन मार्क 3 ईवीएम की विशेषता यह है कि इसके चिप को सिर्फ एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है. चिप के सॉफ्टवेयर कोड को पढ़ा नहीं जा सकता और इसको दोबारा लिखा भी नहीं जा सकता.
छेड़छाड़ की तो खिंच जाएगी तस्वीर
इस ईवीएम को इंटरनेट या किसी भी नेटवर्क से कंट्रोल नहीं किया जा सकता है. यदि कोई ईवीएम छेड़छाड़ करेगा या इसका स्क्रू भी खोलने की कोशिश करेगा तो मशीन बंद हो जाएगी. यही नहीं छेड़छाड़ करने वाली की फोटो भी दर्ज हो जाएगी. मशीन में इनमें रीयल टाइम क्लॉक और डायनामिक कोडिंग जैसी व्यवस्थाएं हैं. इसकी हैकिंग यारी प्रोग्रामिंग नहीं की जा सकती है.
इस कंपनी ने किया है तैयार
खास बात यह है कि M3 में 24 बैलट यूनिट और 384 प्रत्याशियों की जानकारी होगी पहले सिर्फ चार बैलेट यूनिट और 64 प्रत्याशियों की जानकारी ही रखी जा सकती थी. इस मशीन को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड बेंगलुरू और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड हैदराबाद में तैयार किया है.
1998 में पहले ईवीएम का प्रयोग
गौरतलब है कि बनाने का विचार सबसे पहले 1977 में आया था नवंबर 1998 में इसका उपयोग किया गया था का निर्माण 1989 में से 200 तक हुआ दूसरी पीढ़ी के मार्ग का निर्माण 2006 से 2012 तक हुआ था.