बिहार में 10 कंपनियों को मिला सैनिटाइजर बनाने का लाइसेंस
बिहार में भी अब सैनिटाइजर का निर्माण शुरू हो जाएगा. स्वास्थ्य विभाग ने राज्य की 10 कंपनियों को सैनिटाइजर निर्माण के लिए अनुमति प्रदान कर दी है. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि इन कंपनियों को निर्माण को लेकर लाइसेंस जारी कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि कोविड 19 के पूर्व बिहार में सैनिटाइजर निर्माण नहीं होता था. उम्मीद है कि इसके बाद पर्याप्त मात्रा में सामान्य मूल्य पर बिहार में सैनिटाइजर उपलब्ध होगा.
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मेसर्स ग्लोब्स स्पिरिट लिमिटेड वैशाली, मेसर्स कांसी ड्रग्स वैशाली, मेसर्स हरिनगर शुगर मिल्स, मेसर्स बेस्टलीन ड्रग्स पटना, मेसर्स सम्राट लेबोरेटरी समस्तीपुर, मेसर्स क्रॉस फार्म पटना, मेसर्स सोन सती, मेसर्स एससीआई इंडिया बांका, मेसर्स सिमलिया भोजपुर और मेसर्स सिमलिब्स रिसर्च लेबोरेटरी भोजपुर को सैनिटाइजर निर्माण के लिए लाइसेंस जारी किया गया है.
बिहार में शिशु मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत के बराबर हुई
स्वास्थ्य के क्षेत्र में बिहार ने शुक्रवार को बड़ी सफलता हासिल की. बिहार का शिशु मृत्यु दर घटकर राष्ट्रीय औसत के बराबर हो गया. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि बिहार के लिए यह बड़ी खुशखबरी है. बिहार की शिशु मृत्यु दर 35 से घटकर 32 हो गई है जो राष्ट्रीय औसत के बराबर ह. यह बिहार के चिकित्सकीय सेवा के लिए बड़ी उपलब्धि है.
विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार ने एसआरएस रिपोर्ट 2016, 2017 और 2018 जारी कर दिया है. इसके अनुसार 2016 में बिहार में शिशु मृत्यु दर 38 थी जबकि 2017 में यह घटकर 35 हो गयी और यह 2018 में 32, जबकि राष्ट्रीय दर क्रमशः 34, 33 और 32 हुई है. उन्होंने बताया कि इसी प्रकार बिहार में प्रति हजार बच्चों में क्रूड डेथ रेट (मृत्यु दर) 2018 में 5.8 फीसदी और क्रूड बर्थ रेट 26.2 फीसदी हो गया है. बिहार की इस उपलब्धि पर वरीय शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ एके ठाकुर ने राज्य सरकार को बधाई दी और कहा कि राज्य में नवजात शिशु की देखरेख को लेकर किये गए प्रयासों और टीकाकरण अभियान की सफलता के कारण यह उपलब्धि हासिल हुई है.