बिहार के डिप्टी सीएम और वित्त मंत्री सुशील मोदी ने मंगलवार को सदन में वित्तीय वर्ष 2020-21 का बजट पेश कर दिया. वित्त मंत्री सुशील मोदी 13वीं बार बजट पेश कर रहे हैं. जिसमें कृषि, शिक्षा , स्वास्थ्य और पर्यावरण पर विशेष जोर दिया गया है. वित्तमंत्री ने बजट भाषण की शुरूआत हर बार चुनौतियों को हराते हैं हम, जख्म कितना भी गहरा हो मुस्कुराते हैं हम…इस शेर के पंक्तियों के साथ शुरू की. उन्होंने कहा कि पिछले साल की तुलना में 11 हजार करोड़ ज्यादा है बजट .
वित्त मंत्री ने बताया कि 2020-21 में सबसे अधिक शिक्षा पर खर्च होगा. उन्होनें 35,191 करोड़ शिक्षा पर खर्च का एलान किया है .
सदन में बजट पेश करते हुए सुशील मोदी ने कहा कि इस बार बजट का आकार 2 लाख 11 हज़ार 761 करोड़ रुपए रखा गया है. बिहार में इस वर्ष ग्रीन बजट पेश किया जा रहा है. बिहार सरकार ने शिक्षा पर 35,191 करोड़ खर्च करने का एलान किया है वहीं सड़कों पर 17435 करोड़ खर्च होंगे. मोदी ने सदन में बजट पेश करते हुए कहा कि सूखा पीड़ित किसानों के खातों में पैसे भेजे गए हैं साथ ही डीजल अनुदान की राशि 50 से बढ़ा कर 60 रुपये कर दिया गया.
डिप्टी सीएम ने कहा कि बिहार देश का पहला राज्य बन जाएगा जहां 31 मार्च कर हर घर नल का जल पहुंचेगा और गली-नाली का पक्कीकरण कर लिया जाएगा उन्होंने कहा कि बिहार में विकास की दर लगातार बढ़ रही है. इस बजट में जल जीवन हरियाली पर विशेष जोर दिया गया है. मोदी ने कहा कि केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी बढ़ी है साथ ही बिहार का विकास दर भी बढ़ा है.
वित्त मंत्री के तौर पर मोदी का ये बिहार के लिए 13वां बजट है. मोदी बजट में बिहार में चल रही विकास की योजनाओं का भी जिक्र कर रहे हैं. मोदी ने कहा कि आज पूरी दुनिया मंदी के दौर से गुजर रही है और इसका असर भारत पर भी पड़ने की आशंका है लेकिन इन सबके बावजूद बिहार ने 2019-20 में 15.01 फीसदी की दर से विकास हासिल किया है.
मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर बिहार में प्रति व्यक्ति आय में इजाफा होता है और चरवाहा विद्यालय जैसी चीजें अब बिहार के लिए इतिहास बन चुकी हैं. मोदी ने बजट पेश करने के दौरान एनडीए शासन काल की लालू शासन से भी तुलना की और अलकतरा घोटाला का भी जिक्र किया.