बिहार पुलिस ने एक बड़ा फैसला लेते हुए वीआईपी (VIP Security) सुरक्षा के नाम पर तैनात 150 बॉडीगार्ड को उनकी ड्यूटी से तत्काल हटा लिया है. बिहार पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर सभी जिलों में यह कार्रवाई की गई है. बॉडीगार्ड की ड्यूटी में प्रतिनियुक्त इन जवानों को वापस पुलिस लाइन में अपना योगदान देने को कहा गया है. मुख्यालय के आदेश पर बॉडीगार्ड की तैनाती की समीक्षा लागातार जारी है और आने वाले दिनों में इस संख्या में और भी बढ़ोतरी तय है. इस कार्रवाई के बाद वैसे वीआईपी लोगों में खलबली मची हुई है जो स्टेटस सिंबल के लिए बॉडीगार्ड लेकर चलते हैं.
पुलिस मुख्यालय के आदेश के बाद दो तरह के अंगरक्षक हटाए गए हैं. पहला जो गृह विभाग के मापदंडों से इतर अंगरक्षक की ड्यूटी में तैनात थे. वहीं वैसे वीआईपी जिन्हें सुरक्षा तो मिलनी है पर तय संख्या से ज्यादा बॉडीगार्ड हैं उसे भी वापस कर लिया गया है. पुलिस मुख्यालय के आदेश के बाद शनिवार को अंगरक्षकों को हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई. जिला पुलिस द्वारा अबतक 150 ऐसे अंगरक्षकों को वापस बुला लिया गया है.
बढ़ सकती है यह संख्या
पुलिस मुख्यालय के आदेश के बाद अंगरक्षकों की प्रतिनियुक्ति की जिला स्तर पर समीक्षा की जा रही है. हर एक वीआईपी को दी गई सुरक्षा की एक-एक कर समीक्षा की जा रही है. समीक्षा के दौरान जो भी अंगरक्षक मापदंडों से इतर तैनात हैं उन्हें हटाया जा रहा है. पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों के मुताबिक हटाए जानेवाले अंगरक्षकों की संख्या और भी बढ़ सकती है.
अंगरक्षक की तैनाती को 2017 में बना था नियम
किसी व्यक्ति को सुरक्षा देने के दो आधार हैं. पहले पद और दूसरा खतरे के आधार पर किसी व्यक्ति को बॉडीगार्ड दिया जाता है. इसके लिए 2017 में गृह विभाग ने संकल्प जारी किया था. इसके मुताबिक किसी व्यक्ति को बॉडीगार्ड तभी दिया जाएगा जब उनकी जान को खतरा हो. इसका आकलन आईजी की अध्यता में बनी विशेष सुरक्षा समिति करती है. इस समिति के निर्णय से असंतुष्ट व्यक्ति केन्द्रीय सुरक्षा समिति के पास जा सकता है. हालांकि विशेष परिस्थिति में 2 महीने के लिए एसपी किसी व्यक्ति को बॉडीगार्ड दे सकते हैं. इसके बाद उन्हें सुरक्षा समिति से इजाजत लेनी होगी.