नगर निगम के दैनिक कर्मचारियों की 3 फरवरी से जारी हड़ताल के कारण राजधानी में 40 हजार क्विंटल कचरा जमा हो गया है. शनिवार को भी सफाईकर्मियों की हड़ताल जारी है. नगर निगम के अस्थायी सफाईकर्मियों की हड़ताल ने शहर की सूरत ही बदल दी है. पटना के हर चौक-चौराहों पर कूड़े का अंबार है तो कई जगहों पर मरे हुए मवेशियों की दुर्गंध से लोगों का जीना दूभर हो गया है. राजधानी की हालत और भी बदतर होती जा रही है .
पटना मे हर रोज करीब आठ हजार क्विंटल कचरा जमा हो रहा है. लोग घरों का कचरा सड़क पर फेंक रहे हैं, लेकिन वहां से उठाव नहीं हो रहा है. सीवरेज में कूड़ा के जाने से लाइन ब्लॉक हो रही है. इससे सड़क पर पानी बहने लगा है.
जलापूर्ति शाखा को अंदेशा है कि अगर कूड़ा का प्रभाव लीकेज वाले स्थानों पर पड़ा तो लोगों को प्रदूषित पानी की आपूर्ति होने लगेगी. अगर हड़ताल समाप्त होती है तो शहर को पूरी तरह से साफ कराने में 10 दिनों का समय लग जाएगा. वहीं, कूड़ा का उठाव नहीं होने के कारण लोगों का सड़कों पर चलना मुश्किल होता जा रहा है. पांच दिनों से पड़ा कूड़ा बदबू दे रहा है. प्रशासन की ओर से दावा किया जा रहा है कि कूड़ा का उठाव हो रहा है, लेकिन यह रस्म निभाने की तरह ही है. छह टीमों को कूड़ा उठाव कार्य में लगाया है. ये सभी गली-मसेहल्लों से सफाई कराने में सफल नहीं हो रही हैं. बोरिंग रोड जैसे प्रमुख इलाकों में भी सफाई व्यवस्था को बहाल कर पाने में सफलता नहीं मिल सकी है. कर्मचारियों का कहना है कि एक दिन में आठ हजार क्विंटल कूड़ा उठाव की अभी क्षमता है. दिन-रात अगर उठाव हुआ तब भी शहर को साफ करने में कम से कम 10 दिन लग जाएंगे.
निगम कर्मचारियों की हड़ताल का सबसे खराब असर सीवरेज सिस्टम पर पड़ रहा है. ड्रेनेज लाइन ब्लॉक होने के कारण बारी पथ, महेंद्रू, सैदुपुर, कंकड़बाग, भूतनाथ रोड, बेउर जैसे इलाकों में एक फीट तक पानी सड़क पर जमा हो गया है. वहीं, पटना सिटी अंचल कार्यालय के सामने सीवर का पानी लगातार दूसरे दिन सड़क पर बहता दिखा. उधर पीएमसीएच के पास मेडिकल कचरा अशोक राजपथ के किनारे फेंका गया है, जो खतरनाक है.