निर्भया के दोषियों के खिलाफ एक फरवरी को फांसी नहीं होगी. पटियाला हाउस कोर्ट में अगले आदेश तक डेथ वारंट पर रोक लगा दी है. अब उन्हें 1 फरवरी को फांसी नहीं दी जाएगी. ये दूसरी बार है जब दोषियों की फांसी टाली गई है. इससे पहले 22 जनवरी सुबह 7 बजे दोषियों को फांसी देने की तारीख तय हुई थी.
बता दें कि दोषी विनय की ओर से गुरुवार कोर्ट में याचिका दाखिल कर राष्ट्रपति के पास दया याचिका लंबित होने का आधार बताकर फांसी पर रोक लगाने की मांग की गई थी. न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने तिहाड़ जेल प्रसाशन को ऑर्डर की प्रति प्राप्त करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि अगले आदेश तक फांसी पर रोक लगाई जाए.
सुनवाई के दौरान दोषियों के वकील ने कहा कि अभी उनके पास कानूनी उपाय उपलब्ध हैं. दिल्ली जेल नियम के मुताबिक, फांसी एक साथ दी जा सकती है. ऐसे में डेथ वारंट पर अनिश्चित काल तक रोक लगाई जानी चाहिए.
दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा कि अक्षय की क्यूरेटिव पिटीशन बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट से खारिज हुई है. अब दया याचिका दायर करनी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से आदेश की प्रति नहीं मिली है. एपी सिंह ने कहा कि जब तक सभी उपाय इस्तेमाल न हो जाये, तब तक फांसी नहीं दे सकते.
अधिवक्ता एपी सिंह ने याचिका में कहा है कि फांसी पर अनिश्चितकाल के लिए रोक लगा देनी चाहिए. क्योंकि अभी दोषियों के लिए कानूनी उपाय बाकी हैं.
विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास विचाराधीन है, जबकि अक्षय और पवन के कानूनी उपाय भी बाकी हैं. अक्षय की दया याचिका बाकी है. पवन ने अभी तक उपचारात्मक याचिका दायर नहीं की है. दया याचिका खारिज होने के बाद भी अदालत में फिर से जाने के लिए दोषी को 14 दिन का समय दिया जाता है. कानून के तहत यह प्रावधान है. अब अगर विनय की दया याचिका खारिज होती है तो उसके पास भी फिर से सुप्रीम कोर्ट में जाने का अधिकार है.
एक साथ फांसी देने का है नियम
दिल्ली जेल मैनुअल के अनुसार किसी अपराध के लिए जब दोषियों को एक साथ डेथ वारंट जारी होता है, तो उन्हें फांसी भी एक ही साथ देनी पड़ती है. भले ही इस मामले में मुकेश के लिए सारे रास्ते बंद हो चुके हैं, लेकिन अन्य तीन दोषियों के पास अभी कानूनी उपाय बचे हैं. ऐसे में मुश्किल है कि 1 फरवरी को फांसी हो सके.