PATNA : बिहार सरकार ने फर्जी प्रमाण पत्र पर बहाल करीब डेढ़ सौ सेविका और सहायिकाओं को तत्काल बर्खास्त करने का आदेश दिया है. समाज कल्याण विभाग ने सभी दोषियों पर प्राथमिकी दर्ज करने का भी आदेश दिया है.
राज्य के पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, किशनगंज, सीतामढ़ी जिले में चयनित हुई आगनबाड़ी सेविकाएं और सहायिकाओं की पोल उस वक्त खुली जब समाज कल्याण विभाग की ओर से गठित कमिटी ने सभी का सर्टिफिकेट का चेक किया और बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया. कुल 150 सेविका और सहायिका जिनके सर्टिफिकेट उड़ीसा और केरल के मिले हैं जिसे पहले ही सरकार ने अवैध करार किया था को फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर बहाली को अवैध करार देते हुए कर्मियों को सरकार ने ना सिर्फ बर्खास्त करने का आदेश जारी किया है बल्कि सभी 150 के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज करने का आदेश दिया है. विभागीय मंत्री रामसेवक सिंह ने बाकी जिलों में भी चयन प्रक्रिया में दिये गये प्रमाणपत्रों की सख्ती से जांच कराने का आदेश दिया है.
विभाग ने कहा है कि किसी भी जिले में सर्टिफिकेट की जांच देरी हो रही है तो जांच प्रक्रिया में जुड़े लोग आइसीडीएस अधिकारियों से सहयोग ले सकेंगे. हर हाल में 15 दिनों पर सर्टिफिकेट जांच के लिए बैठक होगी, जिसमें बिहार बोर्ड के अधिकारियों को भी डीएम के माध्यम से बुलाया जायेगा, ताकि ऑन स्पॉट सर्टिफिकेट जांच हो सके.
मामला प्रकाश में आने पर ना सिर्फ सेविका और सहायिका की मुसीबत बढ़नेवाली है बल्कि कई सीडीपीओ भी जांच के घेरे में आ सकती हैं, जिनके द्वारा ऐसे कर्मियों का चयन किया गया था. समाज कल्याण विभाग ने पहली बार इतने बड़े पैमाने पर कर्मियों की बर्खास्तगी का आदेश जारी किया है. इस कार्रवाई के बाद सेविका और सहायिका के साथ बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों में भी हड़कंप मचा हुआ है.