राजस्थान के झुंझुनू में पॉस्को कोर्ट ने बेटी के रेप केस में गवाही से पलटने के आरोप में मां को एक महीने की सजा सुनाते हुए जेल भेज दिया है और दस हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. मां के गवाही से पलटने के कारण रेप केस के तीनों आरोपी को कोर्ट ने बरी कर दिया था जिसके बाद मां पर गलत सबूत और गवाही के आरोप में केस चला और उसे जेल भेजा गया है. पॉस्को एक्ट में आरोपी को उम्रकैद के साथ-साथ जुर्माना तक की सजा हो सकती है.
जेल भेजी गई महिला ने 2017 में बेटी के अपहरण और रेप के आरोप में एक आदमी के खिलाफ केस दर्ज कराया था. मजिस्ट्रेट के सामने बयान में बेटी ने रेप केस में दो और लोगों का नाम ले लिया. पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार करके पॉस्को एक्ट और आईपीसी की संगत धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल किया.
कोर्ट में ट्रायल के दौरान महिला एफआईआर में दर्ज अपनी शिकायत और बाद के बयान से पलट गई और कहा कि उसकी बेटी का ना तो अपहरण हुआ था और ना ही बलात्कार. कोर्ट को मां ने बताया कि बेटी उसे बिना बताए एक रिश्तेदार के घर चली गई थी. मां ने कोर्ट से ये भी कहा कि जब एफआईआर दर्ज कराया गया था तब बेटी नाबालिग नहीं थी. मां ने कोर्ट के सामने दलील दी कि वो निरक्षर है इसलिए नहीं समझ पाई की एफआईआर में क्या लिखा है.
केस में शिकायतकर्ता यानी मां के बयान और शिकायत से पलट जाने से पुलिस का केस कमजोर हो गया और फिर कोर्ट ने तीनों आरोपियों को इस साल 3 नवंबर को रिहा कर दिया. फिर पुलिस के आग्रह पर कोर्ट ने आईपीसी की धारा 193 के तहत मां के खिलाफ कार्यवाही शुरू कर दी जो झूठी गवाही का मामला होता है. मंगलवार को पॉस्को कोर्ट के जज सुकेश कुमार जैन ने महिला को झूठी गवाही का दोषी ठहराते हुए एक महीने के लिए जेल की सजा सुना दी.
पॉस्को कोर्ट जज ने अपने फैसले में कहा है कि वो देख रहे हैं कि पॉस्को एक्ट के 50 परसेंट केस में शिकायतकर्ता पलट जा रहा है. ये एफआईआर में की गई शिकायत और मजिस्ट्रेट के सामने दिए बयान को गलत बताने लगते हैं. पॉस्को एक्ट या एससी-एसटी एक्ट में लोगों के गवाही से पलटने की वजह कड़ी सजा है जिससे बचने के लिए आरोपी कोर्ट के बाहर शिकायतकर्ता से सेट्लमेंट कर लेते हैं. जज ने कहा कि पॉस्को एक्ट में पीड़िता को 5 लाख के मुआवजा का प्रावधान है तो समझा जा सकता है कि आरोपी सजा के साथ-साथ मोटे जुर्माने से बचने के लिए शिकायतकर्ता को कोर्ट से बाहर क्या-क्या ऑफर कर सकता है.